शनिवार, 6 सितंबर 2014

       गुटरगूँ  के बारे में - 
      


                     "गुटरगूँ" - जैसे नाम से हीं स्पष्ट है कि आपसी बातचीत। लेकिन आज समाज में बहुत ऐसे लोग हैं जो अपने काम में इतने व्यस्त हैं कि उन्हें आपसे बात करने का मौका हीं नहीं मिलता (शायद उनमें आप भी हों) या यूँ कह लिजिये कि जब आप उनसे बात करना चाहते हैं तब उनके पास खाली वक़्त नहीं होता और आप अपनी बात कह नहीं पाते। वो बातें जो अनकही हैं, आपकेअंदर मेघ बनकर घुमड़ती रहती है और मजबूरन बरस नहीं पाती। उस घुमड़ते मेघ को आमंत्रण देनेके लिए मैंने ' गुटरगूँ ' नामक ज़मीन तैयार किया है, जो आपसे मुखातिब होने की असीम लालसा लिये उस बारिश के इंतज़ार में पलकें बिछाए है।                                                                                          
    


आशा है की आपको अपनी बरसात के लिये यह ज़मीन उपयुक्त लगेगी...........


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