महाभारत
नाटक- महाभारत निर्देशिका- अनुरुपा रॉय
नाटककार- अनामिका मिश्रा भाषा- अंग्रेजी / हिंदी / कन्नड़
नाटक की अवधि-70 मिनट
नाटक महाभारत से |
भारत रंग महोत्सव का दूसरा दिन पहले से ही चर्चा में था जिसका एक कारण नाटक “महाभारत” भी था. नाटक महाभारत मूल रुप से अपने 15 किरदारों के आतंरिक संघर्ष की प्रस्तुति है जैसा की निर्देशकीय में भी कहा गया है. यह नाटक मुख्य रुप से प्रायोगिक, रचनात्मक व नायरेटीव फॉर्म में है. जिसमे दो सूत्रधार पुतुलछाया के माध्यम से कहानी की शुरुआत करते हैं. और बीच में गुरूजी हारमोनियम लेकर मंत्र का उच्चारण करते हैं और शुरू हो जाती है महाभारत की कथा. जो प्रोजेक्टर, कठपुतली, मुखौटे के माध्यम से अश्वथामा तक की पूरी कथा कह जाती है. प्रस्तुति “महाभारत” की चर्चा शुरु करने से पहले यह बता देना बेहद ज़रूरी है कि गति-कथ्य-लय-ताल-बिम्ब-प्रतिबिम्ब की बीच का सामंजस लोगों को कुछ ही मिनटों में अपने दर्शकों को उसके कुर्सियों से चिपका देती है. और पुरे शो के दौरान दर्शक की संख्या बढती ही जाती है लिहाजा ऑडिटोरियम का गेट तक लोग खड़े होकर नाटक देखते हैं
नाटक अपने प्रथम चरण में ही कथ्पुतिलियों की छाया व बातचीत से अपने किरदार को स्थापित कर कहानी को अपने आगोश में ले लेती है जहाँ दोनो सूत्रधार कहानी को दिलचस्प अन्दाज में कहानी को आगे बढ़ने में कैटालिस्ट काम करते हैं वही बार बार अपना वेश एवं करदार बन कर कहानी का दृश्य भी सृजित करते हैं. जो नाटक खेलने की भारतीय लोक परंपरा को उजागर करती है.नाटक की भाषा जो हिंदी व अंग्रेजी के
यह आलेख मेरे नाटक देखने के बाद अपने व्यक्तिगत
अनुभव के आधार पर है आपकी राय शायद आलग हो...
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